Tuesday 1 March 2016

कार द्वारा एक यात्रा

एक दिन मेरे पिता ने नई कार खरीदी। हम सभी बहुत उत्साहित थे। उन्होंने रविवार को दादा दादी को मिलने ले जाने का वादा किया.

र की सुबह उजली और हवादार थी. हम कार में फुदकते हुए बैठे. और हम एक्सप्रेसवे के लिए चल पड़े. पिताजी कार चला रहे थे और माँ आगेवाली सीट पर बैठी थी. मैं अपने बहन के साथ पीछे बैठा था.

रविवार होने की वजह से सड़क खाली थी और ज्यादा भीड़ नहीं थी. हम एक्सप्रेसवे पे थे तो गाडी तेजी से चल रही थी.. मेरे पापा अच्छे ड्राइवर है और वो कारेफुल्ली गाड़ी चला रहे थे. जो कार ज्यादा तेजी से चल रही थी; उनको पुलिस ने रुकैया.. एक्सप्रेसवे पर गाडी का स्पीड सेम रखना पड़ता है. और मैं सफ़र मैं ही सो गया.

बी मैं जागा तो हैम 1 टोल के पास पहुंचे थे. पापा ने टोल भर दिया. रास्ते में हमें कई दिलचस्प जगहें दिखी. पापा ने गाडी बिच में नहीं रोकी. हमें जल्दी से दादा दादी के पास पहुँचना था.

हमने कही दिलचस्प जगहें देखि; और कही फैक्ट्री भी देखि. हम दादा दादी के गांव पहुंचे.. वहां पर बहुत गाडिया थी. वो जगह बहुत ही फेमस थी. हमें वहां पंहुचने के लिए 2 घंटे लगे. हमें देखते ही दादा दादी खुश हो गए. और हम सब दादा दादी के घर चले गए.

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