Wednesday 14 December 2016

कुणास ठाऊक? Kunaas Thauk?

कुणास ठाऊक? Kunaas Thauk?

Othaanvar Aalele Shabd Tasech Saandun Jaataat ....
Mi Bolatach Naahi
Dolyaant Daatalele Bhaav Tasech Virun Jaataat ....
Tila Kalatach Naahi

Tichyaakade Paahilan Ki Paahatach Raahato ...
Stabdh Huon
Tichyaakad Naahi Paahilan Ki Tich Nighun Jaate ...
Kshubdh Huon

Chandr Taare Todun Tila Aanun Dyaayachan Manaat Yetan
Pan He Shaky Naahi Hehi Lagech Dhyaanaat Yet

Mag Mi Maajhi Ichchha Fulaavarach Bhaagavato
Bukehi Naahich Paravadat Haahi Hisheb Aathavato

Pan Ful Tila Dyaayachi Himmatach Hot Naahi
Bolanach Kaay, Tevha Tichya Baajulaahi Firakat Naahi

Mag Ekhaadya Jaad Pustakaat Ful Tasach Sukat Jaatan
Sagali Tayaari Sagali Himmat Nehami Asanch Fukat Jaatan

Kaahi Kelya Tichya Manaacha Thaangapatta Laagat Naahi
Maajhan Man Tichyaashivaay Kaahisuddha Maagat Naahi

Ti Naahi Mhanel Yaachi Bhiti Vaatate
Ti Naahi Mhanel Yaachi Bhiti Vaatate


Pan Tarihi Aaj Tharavalany Tila Saangaayachan
Tichyasaathi Asalelan Aayushy Tichyaach Svaadhin Karaayachan

Thauk Kunaas?
Tichyaahi Ekhaadya Pustakaat
Maajhyaasaathichi Sukalele

Sunday 4 December 2016

samacharpatra essay in hindi

samacharpatra essay in hindi

समाचार पत्र निबंध इन हिंदी



समाचार पत्रों के बिना सिर्फ एक दिन की कल्पना करे। ऐसी स्थिति के विचार भी बहुत मुश्किल है। तो हम समाचार पत्र हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण उसका एहसास होता है। समाचार पत्र आधुनिक सभ्यता का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। हम अखबार के बिना एक कप चाय के लिए नहीं जा सकते । प्रत्येक छपी हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य हमें खबर प्रदान करना है; उसको अखबार कहा जाता है । हमारे लिए अखबार मतलब, जो समाचार, सुविधाओं, रिपोर्टिंग और विज्ञापन पर और आर्टिकल के बारे में जानकारी देता है। समाचार पत्र दुनिया के कान और आँखें के रूप में जाना जाता है। हमें जिससे इनफार्मेशन मिलती है.

दुनिया समाचार के रूप में जानी जाती है। पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण से आती इनफार्मेशन को न्यूज़ कहा जाता है। आज के आधुनिक दुनिया समाचार पत्र के बिना अधूरा है। मीडिया के आगमन के साथ, समाचार पत्र की लोकप्रियता बहुत कम हो गए हैं। लेकिन जो की प्रभावशीलता है वो बनी हुई है। आज की सुबह एक समाचार पत्र के साथ शुरू होती है और एक अखबार के साथ समाप्त होती है।

यह समाचार पत्र का प्रभाव है कि हम दुनिया के बारे में जानते है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया की समस्याओं और उनके समाधान के बारे में हमें सूचित करना है। इसका मुख्य उद्देश्य पाठक को ताजा घटनाक्रम के बारे में सूचित रखने के लिए है.

यह जाँच और महत्वपूर्ण घटनाओं को प्रस्तुत करता है। यह निर्देश और जनता की राय को आकार देता है। यह जनता की शिकायतों के लिए स्थान भी उपलब्ध कराता है। यह लोगों को अच्छा नागरिकता के लिए शिक्षित कराता है। अखबार इस तरह कला, विज्ञान, व्यापार, खेल, अपराध, मोड आदि के रूप में विषयों की विविधता के बारे में जानकारी प्रदान करता है . समाचार पत्रों से प्राप्त बहुत जानकारी का हर एक टुकड़ा महत्व का है। हम यह हमें अपने देश में किस क्षेत्र में क्या हो रहा है इसके बारे में पता कराता है.

वहाँ स्वास्थ्य के लिए एक अलग कॉलम है। ज्यादातर अखबारों में कार्टून, हास्य, वर्ग पहेली और ज्योतिषीय तथ्यों होते है। समाचार पत्र में जीवन साथी, उपलब्धता और कॉलम भी शामिल हैं। विज्ञापन के बिना अखबार को बनाए रखना मुश्किल है। समाचार पत्र लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण शर्त है। लोकतंत्र इसके आधार पर काम करता है। समाचार पत्र, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का एक मार्ग होना चाहिए। प्रेस को अक्सर चौथे स्तंभ कहा जाता है।

Saturday 3 December 2016

teachers day essay in hindi

teachers day essay in hindi

भारत में अनेक महान विद्वान पैदा हुए. उनहि मे से एक महान विद्वान थे डॉ. सर्वपल्लीराधाकृष्णन. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षाविद, म्हणवक्ता और आस्थावान हिन्दू विचारक थे. वे भारत के राष्ट्रपति रह चुके है. लेकिन राजनीति में आने से पहले वो बच्चों को पढ़ाते थे. उन्होंने 40 साल तक शिक्षक का काम किया.
 
शिक्षक दिवस क्यों मनाते है? शिक्षक दिवस मनाते है क्योंकि; हम सब अपने गुरुओं को सम्मान देना चाहते है. सम्मान देने के लिए हम शिक्षक दिन मनाते है. अलग अलग देशों में इसे अलग तरीके से मनाया जाता है. कुछ देशोंमें काम करते है; तो कुछ देशों में छुटिया होती है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर को हुआ;तो इसी दिन भारत में शिक्षक दिन मनाते है.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के द्वितीय राष्ट्रपति रहे. उन्हें 1954 में भारत के सबसे महान पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित किया गया.

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दक्षिण भारत के तिरुत्तनि स्थान में हुआ था जो चेन्नई से 64 किमी उत्तर-पूर्व में है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पुरे विश्व को विद्या का मंदिर मानते थे. उनका मानना था की अगर हम पढ़े ईखे तभी हम अपने दिमाग का सदुपयोग कर सकते है. एक बार ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए उन्होंने कहा था कि मानव की जाति एक होनी चाहिये. मानव इतिहास का सम्पूर्ण लक्ष्य मानव जाति की मुक्ति है. यह तभी सम्भव है जब समस्त देशों की नीतियों का आधार विश्व-शान्ति की स्थापना का प्रयत्न करना हो. वे छात्रों को प्रेरित करते थे कि वे उच्च नैतिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारें. वे जिस विषय को पढ़ाते थे, पढ़ाने के पहले स्वयं उसका अच्छा अध्ययन करते थे. दर्शन जैसे गम्भीर विषय को भी वे अपनी शैली की नवीनता से सरल और रोचक बना देते थे.

सन्‌ 1962 में जब डॉ राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने थे, तब कुछ शिष्य और प्रशंसक उनके पास गए और उन्होंने उनसे निवेदन किया कि वे उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा- "मेरे जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने से निश्चय ही मैं अपने को गौरवान्वित अनुभव करूंगा." तबसे आज तक 5 सितम्बर सारे देश में उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. उनकी मृत्यु  17 अप्रैल 1975 को हुई थी.

विद्यालय में शिक्षक दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है . इस अवसर पर विद्यालय प्रांगण में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाता है . विद्यालय के छात्र-छात्राये शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों के पांव छूकर आशीर्वाद ग्रहण करते है तथा अध्यापकों के सम्मान में भाषण, कविताएं तथा गीत प्रस्तुत करते है . विद्यालय के शिक्षक सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते है. वे बताते है कि शिक्षक ही वास्तविक राष्ट्र के निर्माता है और शिक्षक का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है. अत: सभी शिक्षकों को आधुनिक भारत के निर्माण में सहयोग करने के लिए पूरी ईमानदारी से कार्य करना चाहिए. इस अवसर पर विद्यालय का पूरा स्टॉफ एवं विद्यार्थी उपस्थित रहते है .

* जो बातें बच्चे मां बाप को नहीं बताते, वह शिक्षकों को बताते हैं.
* वैश्विक परिवेश में ऐसा माना जाता है कि सारे देश में अच्छे शिक्षकों की बहुत बड़ी मांग है.
* शिक्षक के महत्व को समझे बिना समाज में बदलाव संभव नहीं. 
* गांवों में शिक्षक सबसे आदरणीय होता है. इस स्थिति को फिर से लाने की जरूरत है.
* विद्यार्थी के लिए शिक्षक हीरो जैसा होता है. वे उनकी ही तरह करना चाहते हैं. 
* हम जब तक शिक्षक की अहमियत स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक शिक्षक के प्रति गौरव पैदा होगा न ही नई पीढ़ी के परिवर्तन में ज्यादा सफलता मिलेगी.
* हम इस बात को समझें कि हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व क्या है. 


"ज्ञानी के मुख से झरे, सदा ज्ञान की बात।

हर एक पांखुङी फूल, खुशबु की सौगात।।"

Swami Vivekananda Essay in Hindi

Swami Vivekananda Essay in Hindi

स्वामी विवेकानंद एक महान हिंदू संत और धार्मिक नेता थे. उन्होंने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की. वे कोलकाता में 12 जनवरी को पैदा हुए थे. 1863 उनका मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था. उनके माता-पिता विश्वनाथ दत्ता और भुवनेश्वरी देवी थे.

वह एक असाधारण बच्चा थे. उन्हें आध्यात्मिक विचारों में गहरी रुचि थी. उन्होंने महानगर स्कूल से प्रवेश परीक्षा पास की. उन्होंने कोलकाता में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बैचलर ऑफ आर्ट्स पूरा किया.

युवा उम्र में उन्हें रामकृष्ण से मिलने का अवसर मिला. यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण घटना थी. उन्होंने दक्षिणेश्वर में रामकृष्ण का दौरा शुरू कर दिया. बाद में, वह रामकृष्ण के शिष्य बन गए. रामकृष्ण दक्षिणेश्वर के काली मंदिर के एक पुजारी थे. प्रसिद्ध वेदांत आंदोलन स्वामी विवेकानंद ने किया था. उन्होंने पश्चिमी देशों में हिंदू धर्म के भारतीय दर्शन की शुरुआत की.

11 वीं सितंबर, 1893, उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में एक संक्षिप्त भाषण दिया. उनका संक्षिप्त भाषण सबसे बड़ी भाषणों में से एक माना जाता है. भाषण ने उनके लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ख्याति अर्जित की.

उन्होंने समय की छोटी सी अवधि में, दुनिया में एक महत्वपूर्ण धर्म के रूप में हिंदू धर्म की स्थापना की. उन्हें हिन्दू शास्त्रों का गहराई में ज्ञान था जैसे की चार वेद, उपनिषद, पुराण और भागवत गीता, आदि के रूप में. उन्होंने दुनिया के दर्शकों के सामने हिंदू धर्म का बचाव किया और सफलतापूर्वक शास्त्रों के प्राचीन ज्ञान को पुनर्जीवित किया. विवेकानंद के प्रमुख कार्यों में कर्म योग, राज योग, भक्ति योग और ज्ञान योग शामिल थे.

उन्होंने युवा पुरुषों और महिलाओं से समाज की मदद के लिए आगे आने के लिए पूछा. उन्होंने उनसे नि: स्वार्थ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए कहा था . उन्होंने लोगों को निडर होना सिखाया . उन्होंने बताया कि हर इंसान के भीतर असीमित शक्तियों हैं. लोग अभी भी उनके प्रसिद्ध बोली, "उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक ना रुको" याद करते हैं. उनके विचारों ने युवाओं को प्रेरित किया.

उनके संदेश ने 20 वीं सदी में भारत के नेताओं को राष्ट्रीय जागरण में प्रभावित किया. उन्होंने अपने देशवासियों से कहा कि अपने आप में विश्वास पैदा करो. 4 जुलाई, 1902 को; 39 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
Republic Day Essay in Hindi

Republic Day Essay in Hindi

हिंदी में गणतंत्र दिवस निबंध


26 जनवरी पूरे भारत में हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1950 में इसी दिन हमारे देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया था. भारत को उसकी खुद की एक संविधान है. गणतंत्र दिवस नई दिल्ली में इंडिया गेट पर मनाया जाता है. देश के कई हिस्सों से लोग समारोह देखने के लिए आते है. राष्ट्रपति इंडिया गेट को आते है. सेना, नौसेना और वायु सेना के सैनिकों से उन्हें सलामी दी जाती है.

गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को भारत में मनाया जाता है. भारत 15 अगस्त, 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया. 26 जनवरी, 1950 को भारत को गणराज्य घोषित किया गया. गणराज्य में, सर्वोच्च शक्ति को एक राजा द्वारा आयोजित नहीं किया जाता है; अपितु जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा, एक निर्वाचित राष्ट्रपति के साथ आयोजित किया जाता है. इसलिए इस दिन गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय छुट्टी है।

सुबह में एक ध्वज फहराने की रस्म है. हम स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते है जिन्होंने हमें आजादी दे दी है. उन्ही की वजह से हम आज हमारे आजादी का आनंद ले रहे हैं. विभिन्न वक्ता एकजुट रहने और देश का सम्मान करने के लिए लोगों से आग्रह करते है. जब हर कोई राष्ट्रीय गान गाने के लिए खड़े होते है तब कार्यक्रम समाप्त हो जाता है. दिल्ली में गणतंत्र दिवस के अवसर पर, राजपथ पर एक परेड आयोजित कि जाती है; जहां हर साल सशस्त्र बलों की टुकड़ियों मार्च, नवीनतम हथियारों को प्रदर्शित करते है. अलग-अलग राज्यों में अपनी संस्कृति और प्रगति का चित्रण दिखाते है. देश भर से लोग इस परेड को देखने के लिए आते है. राष्ट्रीय ध्वज सभी सरकारी कार्यालयों और इमारतों में शीर्ष पर फड़काते है. रात में सरकार के कार्यालयों और राष्ट्रपति के घर को प्रकाशित करते हैं। भारत में 67 वें गणतंत्र दिवस समारोह की रस्म के 26 वें जनवरी 2015 को आयोजित की गई थी. संयुक्त राज्य अमेरिका के 44 वें राष्ट्रपति, बराक ओबामा को समारोह में भाग लेने के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था. यह भारतीयों के लिए सम्मान और आत्म सम्मान का एक क्षण था।
hard work is the key to success essay in hindi

hard work is the key to success essay in hindi

कड़ी मेहनत सफलता के लिए महत्वपूर्ण है हिंदी में निबंध

कड़ी मेहनत सफलता के लिए आवश्यक है ये हैम से अधिक से अधिक बार कहा गया है. ये बयान आमतौर पर स्कूलों और किसी भी अन्य कार्यस्थलों में इस्तेमाल किया जाता है. शिक्षक, टीम के नेता, माता-पिता और प्रबंधक ये बयान अधिक इस्तेमाल करते है. सफलता के लिए कठिन मेहनत कुछ लोगों के लिए सच्चाई है, लेकिन कुछ लोगो विशवास नहीं करते है. कुछ लोगों को लगता है कि वे भाग्य के कारण सफल हुए है. वे कहते हैं कि भाग्यशाली लोग ही समाज में सबसे सफल व्यक्तियां रही हैं. हालांकि, चाहे भाग्य साथ हो या नहीं; कड़ी मेहनत सफल रहने के लिए आवश्यक है. “कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है” ये बयान भी कुछ लोगों और कंपनियों के लिए एक घोषणा है. कड़ी मेहनत में विशवास ही सब कुछ में सफलता देता है. लोग कड़ी मेहनत के माध्यम से अपने करियर में सफल रहे है. एक व्यक्ति के लिए कैरियर के विकास में कड़ी मेहनत और समर्पण ही मांगती है. कार्यस्थलों पर पदोन्नति भाग्य के माध्यम से नहीं लेकिन उनकी कड़ी मेहनत के कारण मिलती है.

कड़ी मेहनत शिक्षा के क्षेत्र में सफलता देती है
स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत है. “कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है” कुछ स्कूलों में एक घोषणा है. एक कठिन मेहनत के बिना अच्छा ग्रेड प्राप्त नहीं कर सकते. जो कड़ी मेहनत से अध्ययन कर अपने समय का अधिक समर्पित करते हैं और जिनकी क्षमता में विशवास हैं; बेहतर अंक और कक्षा में बेहतर ग्रेड हासिल करते हैं. यह स्पष्ट है सबसे अच्छा और अग्रणी छात्रों को पुरस्कृत करते है; कारण परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए वो कड़ी मेहनत करते है. अन्य छात्रों की सफलता और बेहतर परिणाम के लिए और अपनी पढ़ाई में मेहनत से काम करने के लिए भी वो प्रोत्साहित करते हैं.

कड़ी मेहनत प्रौद्योगिकी उन्नति के लिए
प्रौद्योगिकी समय पर उन्नत होती है और ज्यादातर लोगों के लिए जीवन विश्व स्तर पर आसान बना दिया है. हालांकि प्रौद्योगिकी विकास में कड़ी मेहनत और लोगों के समर्पण शामिल होता है. उपकरणों जो हमारे दैनंदिन के जीवन को आसान बनाते है, वहां भी कड़ी मेहनत की जरूरत है. उपकरण परीक्षण, सबसे अच्छा तकनीकी प्रगति के साथ उनका पुनर्निर्माण और मोडलों एक दिन में नहीं होते. यह करने के लिए कठिन मेहनत की आवश्यकता है.

Friday 2 December 2016

World Peace Essay in Hindi

World Peace Essay in Hindi

विश्व शांति (vishwa shanti) शांत और स्थिरता की स्थिति है. अगर देश में विश्व शांति (vishwa shanti) है, वहाँ आदेश, सद्भाव और सहिष्णुता है. ऐसे देश में अपने लोगों को सुरक्षित महसूस करते हैं और रिश्तेदार समृद्धि में रहते हैं. अगर हर देश में विश्व शांति (vishwa shanti) है, दुनिया में विश्व शांति (vishwa shanti) हो जायेगी. अफसोस की बात है, विश्व विश्व शांति (vishwa shanti) सिर्फ एक सपना है.

इतिहास के दौरान बहुत सारे युद्ध को किया गया है; 20 वीं सदी के दो विश्व युद्धों साथ सबसे अधिक याद आनेवाले है. दुनिया का कोई क्षेत्र नहीं बख्शा गया था . अफ्रीकी महाद्वीप को 2005 के बाद से 20 से अधिक नागरिक युद्ध का अनुभव है. हाल के संघर्ष में से एक है सीरियाई क्रांति; जो कि 2013 के शुरू में 70,000 से अधिक लोगों की मौत का कारण बना था . उत्तर कोरिया, चीन, पाकिस्तान और ईरान को अपने स्वयं के परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के लिए जारी रखा है. तीसरे विश्व युद्ध जहां इन हथियारों इस्तेमाल करने का डर है. अगर नुक्लेअर वॉर हो गया; तो पृथ्वी के बचने की कोई आशंका नहीं है.

आखिर इन संघर्षों की क्या वजह है जिसकी वजह से शान्ति और जिन्दागी बर्बाद होती है? अशान्ति कुछ कारणों की वजह से होती है. सबसे पहला कारण है संसाधनों के लिए लालच, सत्ता के लिए प्यास और विचारधाराओं में असहमति. भूमि, जल, और तेल की वजह से एक देश दूसरे पे हमला करता है. नेता अपने क्षेत्र और सत्ता का विस्तार करने की इच्छा से भी दूसरे देश पे हमला करता है. इसी वजह से ऐतिहासिक विजेता सिकंदर महान और चंगेज खान दूसरे देशों के साथ युद्ध के लिए चले गए. आज के समय में भी अलग अलग हितों और विचारधाराओं की वजह से संघर्ष होते है. जब तक ऐसे कारण मौजूद है; हम विश्व शांति (vishwa shanti) नहीं पा सकते. मनुष्य के स्वभाव , अपने लालच, शासन करने की इच्छा और असहिष्णुता ही हिंसा और विनाश का कारण है.

इसका मतलब ये है की हम कभीभी विश्व शांति (vishwa shanti) की उम्मीद नहीं कर सकते? शायद ना भी. लेकिन कुछ लोग है जो कि मानते है; की शान्ति के लिए हम कुछ कर सकते है.लेकिन शुरूवात खुद से ही करनी चाहिए. हमे खुद पे कण्ट्रोल और सहनशीलता रखनी चाहिए. हमे अपने बच्चों को हिंसा से दूर और बदला न लेने की शिक्षा देनी पड़ेगी. अगर देश में सौहार्दपूर्ण रिश्ते बन गए, तो देश में विश्व शांति (vishwa shanti) हो जाएगी.

शान्ति की चाबी हमारे हाथ में है.उसकी शुरुवात हमसे होती है. एक व्यक्तिगत मूल्य के रूप में शान्ति को गले लगाओ और दूसरों के पारित करो. शान्ति प्रयासों का हर स्तर पर समर्थन करो.और दुनिया बदल जायेगी. हैम को शक्ति है की हम वास्तविकता में शान्ति बनाएंगे.