Wednesday 30 November 2016

पागल औरत

मैं स्कूल में चलके जाता हु. कभी कभार 1 पागल औरत मेरे सामने आ जाती है. उसकी साडी बहुत ही गन्दी है. उसने ज़माना हुआ स्नान नहीं किया. उसके बाल उलझे हुए है. उसके दांत सुपारी की वजह से लाल पड़े है. उसकी आँखे बहुत ही भयानक है. मैं हमेशा उससे दूर रहता हु. दूर से ही चलता हु. उसके पास जाते ही गन्दी बास आती है.

उसे देखकर मुझे बड़ा दुख होता है.जो भी उसके पास से गुजरता है; वो उसके पीछे पड़ती है. मैं जब भी उसे देखता हु तो रास्ता बदल लेता हु. कभी कभी वो भी रास्ता क्रॉस करके मेरे पीछे आती है. तब मैं भागता हूं. वो भागती नहीं और मेरा पीछा छूट जाता है.

1 दिन उसको देख कर मैंने रास्ता बदला. उसने भी रास्ता बदला और मेरे पीछे आए. मैं भागा. वो भी मेरे पीछे भागी. उसका पैर साडी में फंस गया और वह गिर पड़ी. मैं भागना चाहता था. लेकिन उसके जान को खतरा था. तो मैं उसके तरफ भागा और उसे खींच लिया.

वो मुझे अछि नहीं लगती थी; फिर भी मैंने उसकी मदद की. मैंने उसे रोड के साइड पे भीटा दिया. सब गाड़ियां रुकी और मुझे देखने लगे.

उसने आँखे खोली और वह हास् पड़ी. मैं डर गया. उसे वहां छोड़ कर मैं स्कूल चला गया. मैंने अपने हाथ धोएं.

अब मैं स्कूल जाने के लिए साइकिल इस्तेमाल करता हु. तो मैं तेजी से निकलता हु.अभी वो पागल औरत मुझे कभी नहीं मिलती.
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